For 2020 from Poem "Suman": शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की चन्द अनमोल पंक्तियॉ
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद !!
जीवन अस्थिर अनजाने ही,
हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल,
तय कर लेना कुछ खेल नहीं
दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते,
सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद !!
साँसों पर अवलम्बित काया,
जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गये,
मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई
पथ के पहचाने छूट गये,
पर साथ-साथ चल रही याद,
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद…!!
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